इस साल अक्षय तृतीया कल 10 मई को मनाई जा रही है। यह हर साल चित्राई अमावस्या के बाद आने वाली तीसरे दिन को एक शुभ दिन के रूप में मनाई जाती है। अक्षयम् का अर्थ है बढ़ना और बढ़ना। इसलिए, यदि आप इस दिन सोना खरीदते हैं, तो यह बढ़ेगा और धन में वृद्धि करेगा। अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहा जाता हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उन सभी का अक्षय फल प्राप्त होता है इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
क्यो मनाया जाता है अक्षय तृतीया?
अक्षय तृतीया को एक ऐसे त्योहार के रूप में मनाया जाता है जो अनंत धन लाता है। इसी दिन धर्म ने भगवान सूर्य से प्रार्थना की और अक्षय पात्र प्राप्त किया था, मणि मेगाला ने अक्षय पात्र प्राप्त किया, और भगवान शिव की मां अन्नपूर्णीथ से अपना भिक्षापात्र भरने के लिए पर्याप्त भोजन प्राप्त किया। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर आप सिर्फ सोना ही नहीं बल्कि नमक, चावल, कपड़े और कोई भी महंगी वस्तु खरीदेंगे तो उसमें कई गुना वृद्धि होती है अगर आप इस दिन सेंधा नमक हल्दी खरीदेंगे तो वह भी आपको सोना खरीदने जैसा लाभ देगी और घर में धन की वृद्धि होगी।
कितने बजे शुरू होगा शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया, तिथि 10 मई को सुबह 4.17 बजे शुरू होगी। जबकि इसका समापन 11 मई को दोपहर 2:50 बजे होगा. अक्षय तृतीया किसी भी अन्य वर्ष की तुलना में अधिक शुभ मानी जाती है क्योंकि यह शुक्रवार के दिन पड़ती है। इन दोनों दिन मे सुबह 5.33 बजे से लेकर दोपहर 12.18 बजे तक सोना-चांदी खरीदने से पूरे साल भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी ।
ऐसे में कई ज्वेलरी ने अक्षय तृतीया के मौके पर खास ऑफर की घोषणा की है. इसके मुताबिक सोने के आभूषणों पर नुकसान को एक प्रतिशत कम कर रियायत की घोषणा की गई है। साथ ही हीरे की ज्वैलरी पर 5,000 रुपये प्रति कैरेट की कटौती की गई है।
हिन्दू धर्म में महत्त्व
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र व गङ्गा से स्नान करके और शान्त चित्त होकर, भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए । इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाना भी कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन सत्तू को अवश्य खाना चाहिए और नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। यह तिथि वसन्त ऋतु के अन्त और ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ का दिन भी है इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा श्वेत कमल अथवा श्ववेत पाटल (गुलाब) व पीले पाटल से करनी चाहिये। और इस मंत्र का उचार करना चाहिए
“सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मन्त्र मेत मुदीरयेत्॥“