दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है और यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जनसंख्या में वृद्धि के साथ, ग्रह पर आबादी भी बढ़ रही है, जिससे जनसंख्या से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। अब समय आ गया है कि हम इस समस्या को रोकने के लिए कोई उपलब्ध टिकाऊ विकल्पों को तलाशें और समझें कि अधिक जनसंख्या पर्यावरण और लोगों को कैसे प्रभावित कर सकती है। हर साल,यह दिन दुनिया और प्रकृति पर जनसंख्या के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने और कठोर प्रभावों को कम करने के लिए हम कैसे टिकाऊ विकल्पों को ढूढ़ने के इरादे से मनाया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस की तिथि
पूरे विश्व भर में हर साल, विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस साल,यह जनसंख्या दिवस गुरुवार को दुनिया भर में मनाया जा रहा है।
विश्व जनसंख्या दिवस 2024 का थीम
इस साल विश्व जनसंख्या दिवस का थीम है “ किसी को पीछे न छोड़ें, सबकी गिनती करें”।
इतिहास
11 जुलाई 1987 को जब दुनिया की आबादी पाँच अरब तक पहुँच गई थी। इस पर विश्व बैंक के वरिष्ठ जनसांख्यिकीविद् डॉ. के.सी. जकारिया ने यह सुझाव दिया कि हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। जल्द ही, इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई और इसे पहली बार वर्ष 1989 में मनाया गया। तब से, दुनिया की बढ़ती आबादी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल विश्व जनसंख्या दिवस को मनाया जाता है।
जनसंख्या दिवस 2024: महत्व
विश्व की जनसंख्या का सामाजिक-आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और व्यक्तिगत कल्याण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह दिन जागरूकता बढ़ाने, कार्रवाई को प्रोत्साहित करने और प्रभाव से संबंधित मुद्दों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है, साथ ही लोगों से स्थायी विकल्प चुनने का आग्रह भी किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या जहाँ अवसरों के नए रास्ते खोलती है, वहीं यह चुनौतियों को भी प्रभावित कर सकती है। हमें इसके प्रभाव को समझने और उसके अनुसार उपाय करने की आवश्यकता है।
विश्व जनसंख्या दिवस 2024: उद्धरण
- यह मानव स्वभाव है कि जब तक कोई काम करने में आनंद आता है और आप उसमें सफल हो सकते हैं, तब तक वह करते रहना चाहिए – यही कारण है कि विश्व की जनसंख्या हर 40 वर्ष में दोगुनी हो रही है।– पीटर लिंच
- “स्थायी विकास के लिए जनसंख्या को स्थिर करना आवश्यक है।” – अटल बिहारी वाजपेयी
- हम अत्यधिक जनसंख्या और बेकार उपभोग की समस्या में फंसे हुए हैं, जो इस सदी में पृथ्वी की आधी प्रजातियों को विलुप्त कर सकती है।” – ई.ओ. विल्सन
- मैं जैविक सर्वनाश में विश्वास नहीं करता, लेकिन मुझे लगता है कि मानव आबादी के बढ़ने के साथ ही आगे तूफानी जैविक मौसम आने वाला है।” – रिचर्ड प्रेस्टन