मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा योजना वापस लेने के निर्देश के बाद संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने आधिकारिक तौर पर Lateral Entry के लिए जारी किए गये विज्ञापन को रद्द कर दिया है। यह भर्ती प्रक्रिया संयुक्त सचिव, निदेशक और उप निदेशक स्तर के 45 पदों के लिए होनी थी, जिसे अब केंद्र सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया है।
UPSC ने इस मुद्दे पर क्या टिप्पणी दी?
UPSC ने एक परिपत्र जारी किया जिसमें लिखा, “यह सभी संबंधितों की जानकारी के लिए है कि रोजगार समाचार, विभिन्न समाचार पत्रों और आयोग की वेबसाइट पर 17 अगस्त, 2024 को प्रकाशित विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव/निदेशक/उप सचिव स्तर के 45 पदों के लिए पार्श्व भर्ती से संबंधित विज्ञापन संख्या 54/2024 को, अपेक्षित प्राधिकारी के अनुरोध पर रद्द किया जाता है।
इससे पहले दिन में कार्मिक, लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC के चेयरमैन से Lateral Entry के लिए चल रहे विज्ञापन को रद्द करने को कहा था। एक पत्र में मंत्री ने कहा कि यह निर्णय सरकार के भीतर लेटरल एंट्री प्रक्रिया के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के हिस्से के रूप में लिया गया है। पत्र में लिखा गया है, “2014 से पहले की अधिकांश प्रमुख Lateral Entry तदर्थ तरीके से हुई है , जिसमें कहीं कुछ कथित पक्षपात के मामले भी हैं। अब सरकार का प्रयास इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी और खुला बनाने का है। यह प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास ही है कि Lateral Entry की प्रक्रिया को हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में।”
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने Lateral Entry पर क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में Lateral Entry में आरक्षण सिद्धांतों को लागू करके बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते रहे है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। शिविनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि NEET, सैनिक स्कूल और कई अन्य संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण के सिद्धांत लागू हों। वैष्णव ने एएनआई से कहा, “पीएम मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि बाबासाहेब अंबेडकर के पांच पवित्र स्थलों को उनका उचित दर्जा दिया जाए। हमें इस बात पर भी गर्व है कि भारत के राष्ट्रपति एक आदिवासी समुदाय से आते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संतृप्ति के सिद्धांतों के तहत, जिसका उद्देश्य हर कल्याणकारी कार्यक्रम को समाज के सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े वर्गों तक पहुंचाना है, ताकि एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के लोगो को अधिकतम लाभ मिल सके ।