केरल में मलयालम महीने करिकादकम में एक महीने तक मनाया जाने वाला उत्सव रामायण मासम बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल रामायण मासम 2024 का यह उत्सव 16 जुलाई से शुरू होगा और 16 अगस्त को समाप्त होगा। हर साल इसकी शुरुआत की तारीख मुहर्रम (2024) के आशूरा दिवस से भी मेल खाती है।
रामायण मासम का महत्व
ऐसा माना जाता है कि रामायण मासम का पालन 1982 में एर्नाकुलम में एकीकृत हिंदू मण्डली के बाद से शुरू हुआ था। उस समय इसमें सभी हिंदू समुदायों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिन्होंने रामायण मासम के अस्तित्व में आने के बाद कर्किडकम महीने का पालन करने का फैसला किया था। तब से ही यह प्रथा बरकरार है।
ऐसे मनाया जाता है रामायण मासम
रामायण सबसे महान हिंदू महाकाव्यों में से एक है। उत्सव के हिस्से के रूप में, भक्त इस पूरे महीने में महाकाव्य का पाठ करते हैं। घरों के अलावा, भगवान विष्णु के मंदिरों में भी इसका पाठ किया जाता है। प्रश्नोत्तरी, खेल, गायन और कई अन्य प्रकार के कार्यक्रम भी रामायण मासम पालन का एक अभिन्न अंग हैं। इस महीने के दौरान, हिंदू तीर्थयात्री ‘नालम्बला दर्शनम’ भी करते हैं। भक्त कोट्टायम और त्रिशूर जिलों में स्थित भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के चार मंदिरों के दर्शन करते हैं। यह यात्रा आमतौर पर एक दिन तक ही सीमित होती है। करिदकम के दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ समारोहों से परहेज किया जाता है।
सबरीमाला मंदिर करीदकम रामायण मासम पूजा के लिए खुला
केरल में सबरीमाला मंदिर मलयालम महीने करीदकम के लिए पांच दिवसीय मासिक पूजा के लिए सोमवार को खोल दिया गया है । पवित्र अनुष्ठान के हिस्से के रूप में कोई शाम की रस्में नहीं थीं। केवल वे ही व्यक्ति ही दर्शन केलिए जा सकेंगे जिनके पास वर्चुअल क्यूआर पास होगा, उन्हें ‘दर्शन’ या ‘पवित्र यात्रा’ के लिए अनुमति दी जाएगी। पूजा के दिनों में मंदिर में ‘कलाभाभिषेकम’, ‘लक्षर्चन’ और ‘सहस्रकलासम’ सहित विशेष अनुष्ठान भी किए जाएंगे। ‘उदयस्थमन पूजा’, ‘अष्टाभिषेकम’, ‘पुष्पभिषेकम’ और ‘पदी पूजा’ सहित कई अन्य अनुष्ठान भी आयोजित किए जाएंगे। हालांकि, इस पूरे उत्सव के दौरान मंदिर हर शनिवार को बंद रहेगा।