पद्म श्री प्राप्त करने वाले प्रसिद्ध पंजाबी कवि 79 वर्षीय सुरजीत पातर का शनिवार सुबह बरेवाल कॉलोनी के पास उनके घर पर निधन हो गया। पातर के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनका नींद में ही शांतिपूर्वक निधन हो गया। उनके निधन पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित विभिन्न राजनीतिक हस्तियों ने दुख व्यक्त किया है, जिन्होंने इसे “पंजाबी साहित्य जगत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति” कहा।
सुरजीत पातर की प्रसिद्ध काव्य?
सुरजीत पातर की सबसे प्रसिद्ध काव्य रचनाओं में ‘हवा विच लिखे हर्फ‘, ‘हनेरे विच सुलगदी वरनमाला’, ‘पतझर दी पाजेब’, ‘लफजान दी दरगाह’ “कभी नहीं सोचा था और ‘सुरजमीन’ शामिल हैं।
कब मिला था पद्म श्री सम्मान?
सुरजीत पातर को साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हे 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और पहले पंजाबी साहित्य अकादमी में अध्यक्ष का पद संभाला था। अपने शानदार करियर के दौरान, पातर को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पंचनद पुरस्कार, सरस्वती सम्मान और कुसुमाग्रज साहित्य पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले है।
कहां से सबंध रखते थे सुरजीत पातर?
सुरजीत पातर मूल रूप से जालंधर जिले के पातर गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 14 जनवरी, 1945को हुआ था। उन्होंने कपूरथला के रणधीर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करी । उसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में “गुरु नानक वाणी में लोकगीत का परिवर्तन” विषय पर पीएचडी की। वह लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से पंजाबी के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। पातर ने फेडेरिको गार्सिया लोर्का की तीन त्रासदियों, गिरीश कर्नाड के नाटक नागमंडला और बर्टोल्ट ब्रेख्त और पाब्लो नेरुदा की कविताओं का पंजाबी में अनुवाद भी किया है।
सुरजीत पातर द्वारा जीते गए पुरस्कार
1979: पंजाब साहित्य अकादमी पुरस्कार
1993: हनेरे विच सुलघडी वर्णमाला के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
1999: भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा पंचनद पुरस्कार
1999: भारतीय भाषा परिषद
2007-2008: अनाद काव सन्मान
2009: केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा सरस्वती सम्मान
2012: साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार (भारत गणराज्य में चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार)
2014: कुसुमाग्रज साहित्यिक पुरस्कार
सोशल मीडिया प्रतिक्रियाए?
सोशल मीडिया पर पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इसे पंजाबी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा, ”पंजाबी मातृभाषा की सेवा करने वाले और इसे विश्व मानचित्र पर चमकाने वाले हमारे प्रिय पद्मश्री एस. सुरजीत पातर जी का निधन अत्यंत दुखद है, लेकिन यह पंजाबी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति भी है। इस दुःख की घड़ी में परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ। ईश्वर उस महान आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।”
एक्स पर अमरिंदर सिंह ने कहा, “एक युग का अंत, प्रसिद्ध पंजाबी लेखक और कवि पद्म श्री सुरजीत पातर साहब का आज निधन हो गया है। उनके परिवार और दुनिया भर में लाखों प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। पंजाब ने आज एक आइकन खो दिया है।”
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पातर के निधन से साहित्य की दुनिया में एक खालीपन आ सागया है।
उन्होंने लिखा “शिव बटालवी के बाद, पातर साहब पंजाबियों के सबसे लोकप्रिय और प्रिय कवि थे। ”मैं उनके परिवार और उनके शुभचिंतकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।”