कारगिल विजय दिवस, जो कि हमारे देश के लिए एक बहुत ही विशेष दिन है, यह दिन पूरे देश में हर साल बड़े उत्साह और हर्षोलास के साथ मनाया जाता है । इस साल कारगिल विजय दिवस का यह 25वां संस्करण होने जा रहा है। इस दिन को मनाने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक स्थलों पर भी कई तरह के कार्यक्रमो को आयोजित किया जाता हैं।
कारगिल दिवस का इतिहास
साल 1999 में जब हम सभी अपनी-अपनी जिंदगी में मस्त थे, तब हमारे देश के वीर सैनिको ने कारगिल युद्ध जो कि 3 मई,1999 को जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले से आरंभ हुआ था और 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना की जीत के साथ समाप्त हुआ। इस युद्ध में हमारे वीर जवान कारगिल के बर्फीले पहाड़ों पर, 16,000 फीट की ऊंचाई जैसी कठिन परिस्थितियों में दुश्मन से लड़कर अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की थी। कारगिल का युद्ध सिर्फ एक युद्ध नहीं, बल्कि यह एक साहस और बलिदान की गाथा है, जिसमे हमारे सैनिकों ने न केवल दुश्मन को हराया बल्कि इस युद्ध ने देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना को भी जगाया। इसलिए कारगिल युद्ध भारतीय सशस्त्र बलों की पाकिस्तान पर जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध में हिमाचल प्रदेश के 57 जवानों ने देश की सरहद की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।
कारगिल युद्ध के वीर सैनिक
- विक्रम बत्रा- कारगिल का शेर के नाम से मशहूर विक्रम बत्रा जिन्होंने कारगिल युद्ध में अकेले ही दुश्मन के कई सैनिकों को मार गिराकर देश के लिए शहीद हो गए।
- मनोज पाण्डेय- एक साधारण किसान का बेटा, मनोज पाण्डेय ने कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिखाते हुए देश के लिए शहीद हो गए।
- योगेंद्र सिंह यादव- योगेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध में दुश्मन के कई ठिकानों को नष्ट करते हुए देश के लिए अपनी जान त्योछार कर दी। ये सिर्फ कुछ ही नाम हैं, इसके अलावा कारगिल युद्ध में हजारों सैनिक थे जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था।
कारगिल विजय दिवस का महत्व
कारगिल विजय दिवस हमें यहयाद दिलाता है कि आजादी हमारे लिए कितनी कीमती है। यह हमें युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों के बलिदान को याद और उन्हें श्रद्धांजलि देने का मौका देता है। यह दिन हर भारतीय में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होने के साथ साथ देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है।