एस्प्रिट स्टोन्स लिमिटेड का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ), जिसे 26 जुलाई को सार्वजनिक अभिदान के लिए खोला गया था। आज इस आईपीओ की बोली का दूसरा दिन है। सोमवार को बोली के दूसरे दिन सुबह 11:25 बजे तक 50.42 करोड़ के एसएमई आईपीओ को 5.40 गुना अभिदान प्राप्त हो चुका है, जिसमें 38,91,200 शेयरों के मुकाबले 2,10,00,000 शेयरों के लिए बोलियां प्राप्त हुईं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, खुदरा कोटा को 9.32 गुना अभिदान प्राप्त हुआ, जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों की श्रेणी को 4.24 गुना अभिदान मिला।
एस्प्रिट स्टोन्स लिमिटेड(आईपीओ) के बारे मे
एस्प्रिट स्टोन्स लिमिटेड इंजीनियर्ड क्वार्ट्ज और मार्बल सरफेस बनाती है। एस्प्रिट स्टोन्स 30 जुलाई को बंद हो जाएगा। बोली के पहले दिन 26 जुलाई को आईपीओ को 2.07 का सब्सक्रिप्शन मिला था। शेयर आवंटन संभवतः 31 जुलाई को अंतिम रूप दिया जाएगा, जबकि इसकी लिस्टिंग 2 अगस्त को एनएसई एसएमई पर होगी। आईपीओ का मूल्य बैंड 82-87 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। एस्प्रिट स्टोन्स आईपीओ पूरी तरह से 57.95 लाख शेयरों का एक नया इश्यू है। निवेशकों को कम से कम 1,600 इक्विटी शेयरों और उसके गुणकों में आवेदन करना होगा। इसलिए, खुदरा निवेशकों द्वारा न्यूनतम निवेश 1,39,200 रुपये [1,600 (लॉट साइज) x 87 रुपये (ऊपरी मूल्य बैंड)] होगा।
एस्प्रिट स्टोन्स आईपीओ जीएमपी आज
बाजार पर्यवेक्षकों के अनुसार, एस्प्रिट स्टोन्स लिमिटेड के गैर-सूचीबद्ध शेयर ग्रे मार्केट में अपने निर्गम मूल्य की तुलना में 54 रुपये अधिक पर कारोबार कर रहे हैं। 54 रुपये के ग्रे मार्केट प्रीमियम या जीएमपी का मतलब है कि ग्रे मार्केट को सार्वजनिक निर्गम से 62.07 प्रतिशत लिस्टिंग लाभ की उम्मीद है। जीएमपी बाजार की भावनाओं पर आधारित है और इसमें बदलाव होता रहता है। ‘ग्रे मार्केट प्रीमियम’ निवेशकों की निर्गम मूल्य से अधिक भुगतान करने की तत्परता को दर्शाता है।
कंपनी आईपीओ की आय का उपयोग कहां करेगी?
कंपनी ने आईपीओ की आय का उपयोग निम्नलिखित जगहो पर करेगी।जिसमे कुछ उपयोग इस प्रकार है;
1) कंपनी की कार्यशील पूंजी आवश्यकता को पूरा करना।
2) अपनी बकाया उधारी के आंशिक या पूर्ण पुनर्भुगतान और/या पूर्व भुगतान के लिए सहायक कंपनी, हाइक स्टोन्स प्राइवेट लिमिटेड (एचएसपीएल) में निवेश।
3) अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकता को पूरा करने के लिए सहायक कंपनी, हाइक स्टोन्स प्राइवेट लिमिटेड (एचएसपीएल) में निवेश।
4) सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्य।