लोकसभा चुनाव 2024: गुजरात की 26 लोकसभा सीटों की तस्वीर. दोपहर 3 बजे तक यह साफ हो जाएगा कि कितने उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि आज लोकसभा चुनाव में फॉर्म वापस लेने का आखिरी दिन है. इस बीच सूरत में एक बार फिर हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया है. रविवार को सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया. सूरत सीट पर बीजेपी समेत कुल 9 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें चार निर्दलीय और चार अन्य पार्टियों के उम्मीदवार शामिल थे. इनमें भाजपा के अलावा अन्य सात प्रत्याशियों ने अपना पर्चा वापस ले लिया। अब सोमवार को बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल ने भी पर्चा वापस ले लिया है। इसकी पुष्टि कलेक्टर ने की है
बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल ने भी पर्चा वापस ले लिया
सूरत सीट से आठ में से सात उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है. हालांकि, सूरत में बीएसपी उम्मीदवार और पार्टी अध्यक्ष प्यारेलाल भारती ने आज दोपहर दो बजे तक फॉर्म वापस नहीं लिया. उधर, प्यारेलाल ने कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखकर पुलिस सुरक्षा की मांग की है। मुकेश दलाल के निर्विरोध लड़ने के संकेत के बीच प्यारेलाल से संपर्क नहीं हो सका है और उनके घर पर भी ताला लगा हुआ है. इसी बीच वह अचानक कलेक्टर ऑफिस पहुंच गए हैं. चर्चा है कि उन्होंने पर्चा वापस ले लिया है।
क्या सूरत देश की पहली निर्विरोध लोकसभा सीट बन गई?
सूरत में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है. सूरत लोकसभा सीट इस बार निर्विरोध हो गई है क्योंकि बसपा समेत सभी 8 उम्मीदवारों ने अपना फॉर्म वापस ले लिया है. यह लोकसभा में बीजेपी की पहली जीत. इसके साथ ही सूरत देश की पहली निर्विरोध सीट बन गई है. इस तरह बीजेपी ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देकर इतिहास रच दिया है.
सूरत ने प्रधानमंत्री मोदी को खिलाया पहला कमल: सीआर पाटिल
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने सूरत सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल के निर्विरोध चुने जाने पर बधाई दी है. उन्होंने कहा कि सूरत ने प्रधानमंत्री मोदी को पहला कमल खिलाया.
कांग्रेस सूरत में चुनाव नहीं लड़ पाएगी?
सूरत लोकसभा चुनाव के 73 साल के इतिहास में इस साल 18वीं बार चुनाव होगा, जिसे मतदाता, राजनीतिक दल हमेशा याद रखेंगे, क्योंकि चुनाव अधिकारी ने मुख्य उम्मीदवार का फॉर्म रद्द कर दिया है. 73 साल में पार्टी कांग्रेस. कार्यकर्ताओं में यह सुगबुगाहट है कि यह दिन कांग्रेस के लिए काला दिन होगा. 1951 से चुनाव हो रहे हैं और 2019 तक 17 चुनाव हुए जिनमें कांग्रेस के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. लेकिन 1951 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि कांग्रेस का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ पाएगा. इस अपमान का जिम्मेदार कौन है? यह बहस का विषय बन गया है.